Facts About Shodashi Revealed
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The day is noticed with excellent reverence, as followers visit temples, provide prayers, and take part in communal worship functions like darshans and jagratas.
वास्तव में यह साधना जीवन की एक ऐसी अनोखी साधना है, जिसे व्यक्ति को निरन्तर, बार-बार सम्पन्न करना चाहिए और इसको सम्पन्न करने के लिए वैसे तो किसी विशेष मुहूर्त की आवश्यकता नहीं है फिर भी पांच दिवस इस साधना के लिए विशेष बताये गये हैं—
ध्यानाद्यैरष्टभिश्च प्रशमितकलुषा योगिनः पर्णभक्षाः ।
She's honored by all gods, goddesses, and saints. In some sites, she's depicted wearing a tiger’s skin, by using a serpent wrapped about her neck plus a trident in a single of her palms even though the other holds a drum.
This mantra is undoubtedly an invocation to Tripura Sundari, the deity being addressed In this particular mantra. It is just a ask for for her to fulfill all auspicious needs and bestow blessings upon the practitioner.
उत्तीर्णाख्याभिरुपास्य पाति शुभदे सर्वार्थ-सिद्धि-प्रदे ।
As one progresses, the second stage entails stabilizing this newfound consciousness as a result of disciplined procedures that harness the thoughts and senses, emphasizing the essential job of Vitality (Shakti) On this transformative method.
वृत्तत्रयं च धरणी सदनत्रयं च श्री चक्रमेत दुदितं पर देवताया: ।।
The story is really a cautionary tale of the strength of wish as well as the requirement to produce discrimination by way of meditation and subsequent the dharma, as we progress within our spiritual route.
॥ अथ श्री त्रिपुरसुन्दरीवेदसारस्तवः ॥
हंसोऽहंमन्त्रराज्ञी हरिहयवरदा हादिमन्त्रार्थरूपा ।
Her purpose transcends the mere granting of worldly pleasures and extends for the purification of the soul, leading to spiritual enlightenment.
Lalita Jayanti, an important festival in her honor, is celebrated on Magha Purnima with rituals and communal worship gatherings like darshans and jagratas.
यह साधना करने वाला व्यक्ति स्वयं कामदेव के समान हो जाता है और वह साधारण व्यक्ति न रहकर लक्ष्मीवान्, पुत्रवान व स्त्रीप्रिय होता है। उसे वशीकरण की विशेष शक्ति प्राप्त होती है, उसके अंदर एक विशेष आत्मशक्ति का विकास होता है और उसके जीवन के पाप शान्त होते है। जिस प्रकार अग्नि में कपूर तत्काल भस्म हो जाता है, उसी प्रकार महात्रिपुर सुन्दरी Shodashi की साधना करने से व्यक्ति के पापों का क्षय हो जाता है, वाणी की सिद्धि प्राप्त होती है और उसे समस्त शक्तियों के स्वामी की स्थिति प्राप्त होती है और व्यक्ति इस जीवन में ही मनुष्यत्व से देवत्व की ओर परिवर्तित होने की प्रक्रिया प्रारम्भ कर लेता है।